Thursday, August 1, 2019

तू यही है ! यही है यही पर तो है !

कुछ लिखने से पहले मै ये कहना चाहूंगा की इस दुनिया मे कुछ भी असंभव नहीं है! सब कुछ संभव है ! बस आप को सही दिशा मे देखना और चलना है ! दिशा वही सही है जो आप को दुसरो के लिए कुछ करने का अवसर प्रदान करे ! अगर आप निस्वार्थ भाव से किसी के लिए कुछ करते है! तो आप को खुशी की अनुभूति होती है ! और अन्त्ततः देखा जाए तो मनुष्य जीवन का लक्ष्य भी यही होता है ! की जैसे भी हो वो खुशी को प्राप्त कर सके ! वास्तव मे खुशी ईश्वर की तरह हर जगह व्याप्त है ! पर जैसे हम ईश्वर को देख नहीं सकते उसी तरह हम खुशी से घिरे होने पर भी खुशी से अनभिज्ञ रहते हुए जीवन व्यापन करते है !

क्या मुस्कुराना खुशी है ! तो हंसना क्या है ! क्या किसी का दिख जाना खुशी है ! तो मिल जाना क्या है ! अगर सर्दी की दोपहर खुशी है तो गर्मी की शाम क्या है ! अगर बच्चे का खिलखिलाना ख़ुशी है तो उसका पहली बार रोना क्या है! खुशी हर जगह है ! यहा तक की किसी से अलग होने में भी खुशी निहित है !अगर दौड़ कर जितना खुशी है तो पहला कदम लेते हुए गिरना क्या है ! यदि संगीत खुशी है तो शांति क्या है ! हर जगह हर चीज मे खुशी है बस दृश्टिकोण सही होना चाहिए!

ईश्वर ने मनुष्य जाती का उद्गम खुशी के स्त्रोत से किया है और अंततः हमे उसी को प्राप्त करना है ! खुशी छोटी हो या बड़ी खुशी तो खुशी होती है! वास्तव मे हम खुशी को बहार ढूंढ़ने की कोशिश करते है ! जब की खुशी हमारे अंदर ही निहित है ! कभी एक दिन खुद को दो सोचो तुम क्या क्या कर सकते हो! अगर एक दिन खुशी से बिता कर देखना चाहते हो तो सब से पहले ये जानो की तुम को ख़ुशी मिलती किस चीज से है! अगर वो चीज दीर्घकालिक उपस्थित है! तो सोचो की इस चीज का उपयोग आप दुसरो को कैसे सीखा सकते हो! ऐसा इसलिए कह रहा हूँ यदि आप दुसरो को खुश रहना सीखा दो  तो वो अपनी खुशी मे आप को याद रखे गा निसंदेह इससे आप के सम्बन्ध बेहतर होजाये गे और अच्छे सम्बन्ध खुशी के कारक मे से एक है !

ख़ुशी का दूसरा स्त्रोत ये है की आप जान जाए की सही और गलत क्या है! उसके लिए आप को स्थिर स्तिथि मे रहना होगा तभी आप दुसरो के आचरण को महसूस कर पाए गे ! देखने की कोशिश कीजिए यदि कोई खुश है तो वो ऐसा कैसे कर  पा रहा है !और अगर वो ऐसा नहीं कर पा रहा है तो इसका कारन क्या है ! सुनने मे ये एक जटिल प्रकिर्या है ! परन्तु अभ्यास के द्वारा आप ऐसा कर सकते है ! वास्तव मै हम ये भूल ही गए है की हमने खुद अपने जीवन को इतना जटिल बना लिया है की हम स्थिर अवस्था मे आ ही नहीं पाते! और सिर्फ खोज मे अपना जीवन नष्ट कर देते है !

स्थिरता ही सभी धर्मो का आधार है !









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