Tuesday, February 8, 2022

आज का विषय है भारत और राजनीति

आज का विषय है भारत और राजनीति - सुन कर लगता है की ये विषय वस्तु काफी आसान और जानी पहचानी सी है! लकिन यकीन मानिये ये आप के भविष्य के लिए उतनी ही जरूरी है जितना जल ! मेरा उदेश्य किसी दल या समुदाय की आलोचना अथवा प्रशंसा करना नहीं है इसलिए मै सिर्फ वही लिख रहा हूँ जो मुझे लगता है सही है ! राज तंत्र तब तक आप के साथ है जब तक आप की जरूरत है ! इसलिए हमारे लिए ये जर्रूरी है के हम समझे की हम कहा तक सही या गलत है ! तो चलिए जाने की कोशिश करते है ! आखिर ये राज तंत्र है क्या ! देश को सशक्त बनाने के लिए एक नारा दिया गया जय जवान जय किसान - और अगर उस वक्त की स्थिति को देखे तो ये एक वास्तविक एवं उचित उद्घोष था ! क्यों की उस वक़्त भारत एक कृषि प्रधान देश था ! इसमें कोई दो राये नहीं के भारत वीरो की भूमि है ! और उस वकत जब हम अन्न की समस्या से झुंझ रहे थे तब हमारे वीर सैनिको ने भारत को सुरक्षित किया था !


आजादी के साथ हमे कुछ जिम्मेदारिया भी मिली थी और देश को आगे लेकर जाना अति कठिनाई का काम था ! और आगे के ३० साल हमारे कठिन परिश्रम मे बीते लकिन इसके बाद भी हमारा देश अपनी छवि बनाने मे सफल रहा !


आगे आने वाले ३० साल मे जरुरी था के हम प्रगति के पथ पर अग्रसर रहे !

इसी समय अंतराल मे एक खाई हमारे देशके बीच मे आ गयी और यह थी ! जाती एवं धर्म की खाई जिसे पाटना हमारे लिए आज भी संभव नहीं हो पाया है ! और इसी ने हमारी राजनीती को नयी दिशा भी दी हिन्दू और मुसलमान के नाम और धर्म अलग होने की वजह से युद्ध भी लड़े गए ! और यही से हमारी राजनीती की नीव रखी गयी ! मै नहीं जानता के गाँधी महान थे या गोडसे क्यों की इस से अब हमारे जीवन मै परिवर्तन होने वाला नहीं है !

तो चलिए जाने की कोशिश करते है की आज के चुनाव का मुख्य बिंदु हिन्दू और मुसलमान को कैसे बार बार खंडित करता है ! एक छोटा सा देश पकिस्तान हम पर आतंकी हमला करता है ! और हिन्दुस्तान इस का मुहतोड़ जवाब देता है ये न्यूज़ हमेशा चलन मै रही है! और यही वो राजनीती है जो देश को समझ नहीं आती !

राजनीति किसी नेता विशेष की कला नहीं है अपितु इस मे सारा देश भागीदार बनता है ! चलिए समझने की कोशिश करते है ! अगर भारत और पकिस्तान लड़ते है तो सब से ज्यादा फैयदा किसे है - युद्ध के लिए हतियारो की आवयश्यकता पड़ती है और विश्व की वेपन इंडस्ट्री लगभग - $531bn एक साल मे कुछ कंपनियों द्वारा किया गया व्यपार है ! अगर देश लड़े गे ही नहीं तो बिक्री आखिर होगी ही क्यों! इसी लिए जो लोग विश्व को संचालित करते है वो विश्व मे ५००० भी नहीं है !


तो यदि आप जाती और धर्म के आधार पर वोट डालते है तो ये आप अपनी मर्जी से नहीं उनकी मर्ज़ी से डालते है ! अधिक जान कारी के लिए अवश्य पढ़े - https://en.wikipedia.org/wiki/Arms_industry

जल्द ही मिलते है एक और उदाहरण के साथ तब तक रखिये अपना बहुत ख़याल - कल तक

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